संजय सक्सेना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उज्जैन दौरे के राजनीतिक विश्लेषण का दौर शुरू हो गया है। महाकाल लोक के लोकार्पण से जहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कद राष्ट्रीय स्तर पर और बढ़ गया, वहीं केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को मिले महत्व ने तमाम भाजपा नेताओं की नींद उड़ाकर रख दी है। महाकाल मंदिर में तीसरे नेता सिंधिया ही थे, यह बात और है कि गर्भगृह में अकेले प्रधानमंत्री मोदी ही गए और उन्होंने वहां अकेले ही पूजा की। वैसे काशी विश्वनाथ के दर्शन और पूजा के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे, लेकिन महाकाल के दर्शन करते समय मुख्यमंत्री शिवराज और सिंधिया बाहर ही रह गए।
फिर भी मोदी जब महाकाल मंदिर में पूजा करने गए, तो मुख्यमंत्री और राज्यपाल के अलावा ‘महाराज’ यानी ज्योतिरादित्य सिंधिया भी उनके साथ गए। जबकि मोदी कैबिनेट में शामिल मध्यप्रदेश के अन्य नेता सभास्थल पर पहुंचे। एक वरिष्ठ मंत्री कार्यक्रम शुरू होने से करीब 45 मिनट पहले ही पहुंच गए थे, लेकिन वे एक तरफ ही रहे। इतना ही नहीं, प्रधानमंत्री दिल्ली लौटे तो सिंधिया को वे अपने साथ ही ले गए, जबकि अधिकृत कार्यक्रम के अनुसार सिंधिया का रात 10 बजे की इंडिगो की फ्लाइट से दिल्ली जाने का कार्यक्रम तय था।
अब एक तरफ तो यह कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री शिवराज का जलवा दिल्ली दरबार में और बढ़ गया, वहीं दूसरी तरफ सिंधिया को प्रधानमंत्री द्वारा अपने साथ दिल्ली ले जाया गया, सो भाजपा खेमे के दिग्गजों के चेहरों पर चिंता की रेखाएं कुछ गहरी होती दिख रही हैं। सिंधिया इंदौर के लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचने के बाद संघ कार्यालय भी गए थे। वहां एक वरिष्ठ पदाधिकारी भी मौजूद थे, जिनसे उनकी मुलाकात की चर्चा है। सिंधिया को प्रधानमंत्री द्वारा हटकर महत्व दिए जाने की चर्चाएं राजनीतिक गलियारों में तेज हो गई हैं। हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री के रूप में सिंधिया को नहीं लाया जाएगा, अपितु उनका प्रयोग मालवा में किया जाएगा। वैसे भी मालवा सिंधिया परिवार का प्रभाव क्षेत्र माना जाता रहा है। और कुछ दिन पूर्व ही सिंधिया और भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की मुलाकात की चर्चाओं से राजनीतिक बाजार गर्म रहा।
लेकिन अभी मामला कुछ अलग है। जहां एक तरफ राज्य में मुख्यमंत्री से लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष तक को बदले जाने की चर्चाएं चल रही हैं। सत्ता में प्रशासनिक अराजकता और संगठन के बिखराव पर चिंता व्यक्त की जा रही है, इसलिए अचानक प्रधानमंत्री द्वारा सिंधिया को साथ लेकर जाने का मामला चौंकाने के लिए पर्याप्त है। अब विमान में कुछ चर्चा तो अवश्य हुई होगी। यह भी हो सकता है कि प्रधानमंत्री केवल राजनीतिक चर्चाओं का बाजार गर्म करने के लिए सिंधिया को अपने साथ लेकर गए। लेकिन बात कुछ और भी हो सकती है, जिसकी संभावना अधिक बताई जा रही है। पूर्व में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी भोपाल आकर कुछ मामलों में अप्रसन्नता व्यक्त की थी। हालांकि प्रधानमंत्री यहां से खुश हो कर गए, लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव हो जाता है। दिखता कुछ और है, होता कुछ और।
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