जयवर्धन सिंह, पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के बेटे हैं। विधानसभा चुनाव के लिए दिग्विजय सिंह के पास अहम जिम्मेदारी है, लेकिन कांग्रेस ने जयवर्धन सिंह को कोई जिम्मेदारी नहीं दी है। जयवर्धन सिंह राघौगढ़ विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। कमलनाथ सरकार में उन्हें नगरीय विकास मंत्री थे। हालांकि दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को कमेटी में जगह मिली है।
पीसी शर्मा: 2018 में कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे पीसी शर्मा को भी लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है। पीसी शर्मा भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा सीट से विधायक हैं। कमलनाथ सरकार में उनके पास जनसंपर्क और कानून मंत्रालय था। पीसी शर्मा दिग्विजय सिंह के कट्टर समर्थक रहे हैं पर पिछली बार सरकार बनने पर उन्होंने कमलनाथ खेमे में भी एंट्री मार ली थी।
लखन घनघोरिया कमलनाथ के करीबी हैं। राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सामाजिक न्याय विभाग का मंत्री बनाया गया था। लखन घनघोरिया जबलपुर शहर की जबलपुर ईस्ट विधानसभा सीट से विधायक हैं। उन्होंने बीजेपी के सीनियर लीडर अंचल सोनकर को चुनाव हराया था।लखन घनघोरिया को भी लिस्ट में शामिल नहीं किया गया है।
आदिवासी चेहरा उमंग सिंघार को भी दोनों कमेटियों में शामिल नहीं किया गया है। सिंघार का दिग्विजय सिंह का विरोधी भी माना जाता है। कमलनाथ सरकार में उमंग सिंघार ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ कई आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। सिंघार गंधवानी विधानसभा सीट से विधायक हैं। उमंग सिंघार को राहुल गांधी का भी करीबी माना जाता है।
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