भोपाल। प्रदेश के 2436 स्कूलों में आईसीटी लैब बनाए जाने के लिए की जाने वाली खरीदी में भारी भ्रष्टाचार हुआ है। इसमें सरकार ने नियमों को ताक पर रख कर खरीदी की गई है। जिलों में कलेक्टर की अध्यक्षता में बनी क्रय समितियों के अनुमोदन के बिना ही 52 जिलों के डीईओ को भोपाल बुलवाकर 161 करोड़ रुपए की खरीदी के लिए जेम पोर्टल पर 10 नवंबर को बिड अपलोड करवा दी। 9 नवंबर को इसके लिए निर्देश दिए गए थे। पता चला कि टीवी की दरें बाजार दर से कई गुना थी।
यहां खास बात यह रही कि सरकार खरीदी प्रक्रिया को विकेंद्रीकृत किए जाने का दावा कर रही है, जबकि पूरी प्रक्रिया केंद्रीकृत कर पूरी करवा ली गई।
स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया है कि प्रत्येक विद्यालय में 6.40 लाख रुपए की सामग्री खरीदी की प्रक्रिया को जैम पोर्टल के माध्यम से करने के लिए जिला शिक्षा अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया, जबकि हकीकत यह है कि 10 नवंबर को बिना किसी क्रय प्रक्रिया को अपनाए जिला शिक्षा अधिकारियों से सीधे जेम पोर्टल पर बिड अपलोड करवा दी गई, जो रिकॉर्ड में है।
खरीदी प्रक्रिया में तकनीकी मापदंड स्पष्ट नहीं किए
• 65 इंच और इससे बड़ी टीवी कमर्शियल खरीदे जाएंगे या डोमेस्टिक, इसका कोई जिक्र नहीं है।
कंट्रास्ट, ब्राइटनेस रिजोल्यूशन के तकनीकी परीक्षण के लिए कोई विशेषज्ञ नहीं है और न ही कंपनियों से इस संबंध में कोई प्रमाण मांगा गया है।
• छात्रों की आंखों पर टीवी पास से या दूर से देखने का क्या असर होगा, स्पष्ट नहीं किया गया है।
कंप्यूटर के तकनीकी मापदंड में स्पष्टता नहीं है। बिड में 300 प्रोसेसर नंबर डाले गए हैं, जिसका तुलनात्मक चार्ट नहीं बनाया गया है।
• यह सामग्री न्यूनतम दर पर देने वाली कंपनी ही सामग्री प्रदाय करने की पात्र होगी, जिससे आशंका जोर " पकड़ रही है कि निम्न गुणवत्ता की सामग्री खरीदी जाएगी।
ये भी पता चला है कि इसमें भारी कमीशन की बात हुई है और कंपनी चयन में पक्षपात किया गया है।
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