इधर लाडली लक्ष्मी योजना का दूसरा चरण शुरू, वाटिका और सड़क का नामकरण, उधर बच्चियों के साथ दुष्कर्म, शोषण के बढ़ते अपराध...

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एक ओर तो प्रदेश में 'लाडली लक्ष्मी योजना 2.0' शुभारंभ कर रहे हैं, भोपाल में लाडली लक्ष्मी वाटिका का शुभारंभ कर रहे हैं, एक मार्ग का नाम लाडली लक्ष्मी पर कर दिया, लेकिन राज्य में लाडलियों की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। 
भोपाल में आज सीएम शिवराज ने भोपाल के रवींद्र भवन में 1437 लाडली लड़कियों को 12,500 रुपये दिए। लाडली लक्ष्मी योजना 2.0 के तहत लाडली लक्ष्मी गर्ल्स को हायर एजूकेशन में पढ़ाई के लिए 25 हजार की प्रोत्साहन राशि दी गई। इसके साथ ही मुख्यमंत्री शिवारज सिंह चौहान 'लाडली लक्ष्मी पथ' और 'लाडली लक्ष्मी वाटिका' की भी शुरुआत की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज ये हिंदुस्तान में क्या, शायद पूरी दुनिया में पहली बार हो रहा होगा की लाडली लक्ष्मी बेटियों के नाम से वाटिका बनी है, जहां पेड़ लगाए जाएंगे। मेरी बेटियों ने कई जगह पेड़ लगाए है। यह सभी 52 जिलों में हुआ है। इसके बाद में इस वाटिका को जिलों के नीचे भी ले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बड़े लोगों के नाम से, महापुरुषों के नाम से रोड का नाम रखने की परंपरा तो थी। तो मैंने कहा मेरी लाड़ली लक्ष्मी बेटियां तो बड़ी होकर प्रदेश का भविष्य बनाएंगी, देश का भविष्य गढ़ेंगी ये बहुत आगे बढ़ेंगी। इसलिए एक रोड का नाम "लाडली लक्ष्मी रोड" रख दिया जाए।मुख्यमंत्री ने बताया कि आज हमने भारत माता चौराहे से लेकर पॉलीटेक्निक चौराहे तक जिसमें यह स्मार्ट पार्क भी आता है, जहां मैं रोज पेड़ लगाता हूं। यह स्मार्ट रोड था मैंने कहा "यह स्मार्ट रोड नहीं होगा यह लाड़ली लक्ष्मी रोड कहा जायेगा। 
मामा' के राज में भांजियों से दुराचार
 एक तरफ सीएम लगातार  कार्यक्रम पर कार्यक्रम कर रहे हैं, हड़बड़ी में लाडली लक्ष्मी के नाम पर बड़े इवेंट किए का रहे हैं, पर सरकार लाडलियों पर हो रहे अत्याचार नहीं रोक पा रही है।  प्रदेश में नाबालिग बच्चियों से लेकर युवतियां कर सुरक्षित नहीं हैं। हर दिन प्रदेश के किसी न किसी जिले से बच्चियों और युवतियों से रेप के मामले सामने आ रहे हैं। वहीं, दरिंदगी को छुपाने के लिए अब दुराचारी रेप के बाद उनकी हत्या करने से भी बाज नहीं आ रहे हैं। बीते पांच दिनों की ही बात करें तो रेप और गैंगरेप की पांच बड़ी वारदातें खंडवा, मुरैना, भिंड, शिवपुरी और ग्वालियर में सामने आई हैं। प्रदेश सरकार भले ही राज्य में महिला सुरक्षा का डंका पीट रही हो, लेकिन हकीकत सरकार के दावों से कोसों दूर है। अगर यहीं आलम रहा तो शायद बच्चियां घर से बाहर निकलना ही छोड़ देंगी। 
 NCRB आंकड़े
बीते 12 दिनों में हुए रेप के ये मामले बताते हैं कि मध्यप्रदेश बेटियों के लिए सुरक्षित नहीं है। प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान भले ही खुद को मामा कह कर भांजियों के उज्जवल भविष्य के दावें कर रहे हों लेकिन सच ये है कि हर दिन प्रदेश में बेटियों की आबरू लुट रही है। NCRB के 2021 के आंकड़ों पर गौर करें तो रिपोर्ट के मुताबिक औसतन हर तीन घंटे में मध्यप्रदेश में एक महिला के साथ दुराचार होता है। वहीं, नाबालिगों से रेप के मामले में प्रदेश टॉप पर है। एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो)  की रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में देश भर में बाल यौन शोषण के कुल 33036 मामले सामने आए थे, इनमें से अकेले मध्यप्रदेश में ही 3515 मामले थे। महिलाओं से ज्यादती के मामले भी बीते साल प्रदेश में सर्वाधिक 6462 थे। बाल यौन शोषण के मामले में वर्ष 2020 में भी मध्य प्रदेश टॉप पर था।

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