कर्नाटक विधानसभा चुनाव से पहले तमाम पार्टियों के दिग्गज नेता राज्य के दौरे पर पहुंचकर जनता का समर्थन अपने पक्ष में जुटाने की कोशिश कर रहे हैं। इस बीच मंगलवार को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा बुद्धिजीवियों से बातचीत करने के लिए हुबली में बीवीबी इंजीनियरिंग कालेज में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए।
चुनाव अधिकारियों ने अन्नामलाई की तलाशी ली
चुनाव प्रचार के बीच भाजपा की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के. अन्नामलाई के कमरे, वाहनों और हेलीकाप्टर की तलाशी ली गई। उडुपी की चुनाव अधिकारी सीता ने कहा कि अधिकारियों के एक दल ने हेलीकाप्टर और उनके पास मौजूद एक बैग की तलाशी ली लेकिन उसमें ऐसा कोई सामान नहीं मिला, जिससे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होता हो।
शेट्टार हारेंगे, उनका निर्वाचन क्षेत्र भाजपा की सुरक्षित सीट
भाजपा के वरिष्ठ नेता अरुण सिंह ने मंगलवार को कहा कि कर्नाटक चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार की पार्टी से विश्वासघात करने के लिए उनकी हार सुनिश्चित है। कार्यकर्ता उन्हें सबक सिखाएंगे। राज्य के प्रभारी अरुण सिंह ने जोर देकर कहा कि शेट्टार अपनी पारंपरिक सीट हुबली-धारवाड़ सेंट्रल से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं। यह भाजपा के लिए एक सुरक्षित सीट रही है और रहेगी।
लंबे अर्से से चुनावी प्रबंधन की कमजोरियों को लेकर अक्सर निशाने पर रही कांग्रेस ने कर्नाटक की चुनावी पिच पर सत्ता की पारी खेलने की अपनी पुख्ता तैयारियों से न केवल अपने विरोधियों बल्कि सियासी विश्लेषकों को भी हैरानी में डाल दिया है। करीब 1350 गंभीर दावेदारों की बड़ी संख्या के बावजूद शांतिपूर्ण टिकट बंटवारे, सूबे में सामाजिक समीकरणों की गांठ मजबूत करने, बोम्मई सरकार के खिलाफ 40 प्रतिशत कमीशन का राजनीतिक नरेटिव बनाने से लेकर चार लुभावने चुनावी वादों की चाशनी के बीच त्रिस्तरीय चुनावी निगरानी प्रणाली के जरिये नामांकन की आखिरी तारीख से पहले ही कांग्रेस ने अपने चुनाव अभियान को टाप गियर में चलाने की तैयारी दुरुस्त कर ली है।
सूबे में सत्ता विरोधी लहर की उम्मीद लगा रही कांग्रेस के सामने हालांकि उत्तराखंड चुनाव के झटके का सबक भी सियासी पाठ बना हुआ है और तभी तमाम दावों के बीच प्रबंधन में चूक की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी जा रही। कांग्रेस ने 2022 में उदयपुर में हुए नवसंकल्प चिंतन शिविर के दौरान गहराती राजनीतिक चुनौतियों के लिए चुनाव प्रबंधन को एक प्रमुख कमजोर कड़ी माना था और इसे दुरुस्त करने के लिए कई कदम उठाने की घोषणा की थी। संस्थागत रूप से पार्टी का चुनावी प्रबंधन तंत्र अभी मुखर रूप से सामने नहीं आया है, लेकिन कर्नाटक का यह चुनाव कांग्रेस के लिए इसका पायलट प्रोजक्ट जरूर माना जा सकता है।
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