यदि उम्र के पैमाने पर नेताओं को बाहर करने का सिलसिला शुरू हुआ तो कुछ विधानसभा सीटों पर विद्रोह भी हो सकता है. हालांकि अभी पूरा ध्यान जीतने वाले प्रत्याशियों की ओर लगाया जा रहा है. बीजेपी के बड़े नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि भारतीय जनता पार्टी के संगठन ने उम्र को लेकर भी एक सूची तैयार की है, जिसमें 65 वर्ष के कम दावेदारों को रखा गया है. यह सूची सर्वे के आधार पर जीतने वाले उम्मीदवारों की तैयार की गई है।
70 की उम्र पार कर चुके नेताओं के टिकट कटेंगे
उन्होंने यह भी बताया कि सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट भी 65 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं. उनका टिकट पक्का होने की दशा में 65 साल मंत्रियों को भी खतरा कम हो जाएगा. विदित है कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के शिवराज सरकार के पूर्व मंत्री तुलसी सिलावट सबसे करीबी माने जाते हैं. हालांकि 70 वर्ष की उम्र पार कर चुके नेताओं के टिकट काटे जाएंगे. इस सूची में वरिष्ठ मंत्री गोपाल भार्गव का नाम भी शामिल है, लेकिन उनका टिकट काटना नामुमकिन दिखाई दे रहा है।
कई नेता सीएम शिवराज से भी सीनियर
मध्य प्रदेश में विधानसभा टिकट को लेकर प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की मोहर भी लगेगी. हालांकि बीजेपी के कई ऐसे नेता हैं, जो प्रदेश अध्यक्ष और मुख्यमंत्री से भी सीनियर है, ऐसे में उनके टिकट काटे जाने को लेकर संशय की स्थिति भी बन रही है. उज्जैन उत्तर के विधायक पारस जैन 73 का आंकड़ा पार कर चुके हैं. हालांकि पारस पहलवान अभी भी खुद को फिट बताते हुए टिकट की दौड़ में शामिल हैं।
कई नेता हैं 70 पाार
इसी तरह गौरीशंकर बिसेन, नागेंद्र सिंह, अजय विश्नोई, हरजीत सिंह बब्बू, शरद जैन जैसे कई नेता 70 और 70 पार पार हो चुके हैं. इन नेताओं को भी टिकट की पूरी उम्मीद है. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व मंत्री विक्रम वर्मा की पत्नी नीना वर्मा भी 65 साल का आंकड़ा पार कर चुकी हैं. ऐसे में उनका टिकट काटना भी मुश्किल माना जा रहा है. इसलिए यही कहा जा रहा है कि अभी 65 वर्ष के आसपास उम्र वाले नेताओं को पार्टी लोकप्रियता और जीत की संभावना के चलते एक बार फिर विश्वास जता सकती है।
टिकट देना हो तो नियम ताक पर: वर्मा
कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक सज्जन सिंह वर्मा के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी में जिसे टिकट देना होता है उसे सभी नियमों को ताक में रखकर दे दिया जाता है, जबकि जिस नेता का टिकट काटना होता है, उसे फार्मूले लगाकर हटा दिया जाता है. इस बार भारतीय जनता पार्टी किसी भी फार्मूले पर चुनाव लड़ ले कांग्रेस की कमलनाथ सरकार का बनना तय है.
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